महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानीने बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन की दिशा में दर्शाई गई अद्वितीय निष्ठा और समर्पण के लिए विभिन्न राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के आंगनवाड़ी और आशा कर्मचारियों को सम्मानित किया
प्रोटोकॉल कुपोषण की इस चुनौतियों से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों और प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री
केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानीजी ने कल यहां बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के लिए एक नए मानकीकृत प्रोटोकॉल की शुरुआत की है । इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास एवं आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेन्द्रभाई, महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव श्री इंदीवर पांडे और भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि सुश्री सिंथिया मेक कैफ्रे, संयुक्त राष्ट्र की महिला प्रतिनिधि सुश्री सूसन फर्गूसन, विश्व स्वास्थ्य संगठन की डिप्टी कंट्री हेड सुश्री पेडेन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री राजीव मांझी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
बच्चों में हो रहे कुपोषण के प्रबंधन का यह प्रोटोकॉल भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है। विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए), इंटरनेशनल पीडियेट्रिक एसोसिएशन व इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियेट्रिक इनके अलावा विश्व बैंक, बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे आदि महत्वपूर्ण संगठनों के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ भी यहा पर उपस्थित थे। इनके अलावा ईस कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य विभाग के पुरे देशभर से आए वरिष्ठ अधिकारियों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में भारत देशभर से आई सीडीपीओ, महिला सुपरवाइजर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता / आशा कार्यकर्ता भी उपस्थित थीं।
महिला एवं बाल विकास सचिव श्री इंदीवर पांडे ने इस कार्यक्रम में प्रारंभिक भाषण दिया और बच्चों के लिए बेहतर पोषण की व्यवस्था करने की मंशा से किए जा रहे इन विभिन्न महत्वपूर्ण प्रयासों की जानकारी दी। श्री पांडेजी ने पोषण और स्वास्थ्य प्रबंधन तथा सेवाओं तक पहुंच बनाने व उनकी निगरानी के लिए आईसीटी पोषण ट्रैकर ऐप द्वारा निभाई जा रही भूमिका पर यहा पर प्रकाश डाला। इस वर्ष सितंबर माह के दौरान ७ करोड़ से ज्यादा बच्चों के पोषण स्तर का पता लगाने की दिशा में प्राप्त उपलब्धि पर विशेष जोर दिया गया। सचिव ने अपने संबोधन में कहा, ‘मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण २.० के जरिए कुपोषण को कम करने के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रयासों में यह प्रोटोकॉल एक महत्वपूर्ण तत्त्व होगा। इस प्रोटोकॉल में आंगनवाड़ी व चिकित्सा इको-सिस्टम के जरिए कुपोषित बच्चों का आकलन करने और उन्हें देखभाल मुहैया कराने की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।’
लेडी हार्डिंग कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ व नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस-सिवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशियन के डिप्टी लीड डॉ. प्रवीण कुमारजी ने बेहतर पोषण नतीजों और कुपोषण के सामुदायिक प्रबंधन के लिए एनआरसी का उन्नयन करने के इस विषय पर एक प्रस्तुती दी। डॉ. प्रवीण कुमारजी ने उम्मीद जाहिर की , कि इस मानकीकृत प्रोटोकॉल की शुरुआत से भारत देश के विभिन्न राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों में सामुदायिक स्तर पर कुपोषण की समस्यां को समझने और उसका प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। खासतौर से उन इलाकों में जहां कोई चिकित्सीय समस्याएं नहीं है। इस कार्यक्रम को इंटरनेशनल पीडियेट्रिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. नवीन ठक्कर इन्होने भी संबोधित किया। डॉ. ठक्कर ने इस कार्यक्रम में बताया कि नया प्रोटोकॉल किस तरह कुपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए सभी माताओं और समूचे समुदाय की निगरानी करने में मददगार होगा। डॉ. ठक्कर ने यह भी कहा कि , नया मानकीकृत प्रोटोकॉल ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसे पूरी दुनिया के साथ साझा किया जाना चाहिए।
इस कार्यक्रम के दौरान, विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं / आशा कार्यकर्ताओं, जिन्होंने बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के लिए अनुकरणीय समर्पण व प्रतिबद्धता दिखाई है, को केंद्रीय मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया। यूनिसेफ की प्रतिनिधि सुश्री सिंथिया मेक कैफ्रे, विश्व स्वास्थ्य संगठन की डिप्टी कंट्री हेड सुश्री पेडेन, भारतीय चिकित्सा संघ के संयुक्त सचिव डॉ. मनीष प्रभाकरजी व यूएन वुमेन की कंट्री हेड सुश्री सूसन फर्गूसन ने मंत्रालय को उसकी इस पहल के लिए बधाई दी और इस नए प्रोटोकॉल की शुरुआत पर प्रसन्नताभी व्यक्त की।
महिला एवं बाल विकास मामलों के राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेन्द्रभाईजी ने बच्चों में कुपोषण के प्रबंधन के इस प्रोटोकॉल की शुरुआत को भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया। उन्होंने यहा पर कहा कि, इस प्रोटोकॉल का उद्देश्य स्वास्थ्य एवं कल्याण के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाना व कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए एक स्पष्ट कदम उठाना है। यह जीवन के एक विशेष समय में पोषण की महत्ता पर जोर देता है व मानव विकास क्षमता को बढ़ाने के अवसर देता है। श्री महेन्द्रभाई ने इस कार्यक्रम में कहा कि यह प्रोटोकॉल यह सुनिश्चित करेगा कि पुरे देशभर के सैम- मैम (उम्र के हिसाब से बेहद कम वजन और कम लंबाई वाले बच्चे और काफी हद तक कुपोषण से ग्रस्त बच्चे) बच्चों को समय पर और प्रभावी ढंग से समर्थन दिया जा सके। यह प्रोटोकॉल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं / आशा कार्यकर्ताओं, महिला सुपरवाइजरों, बाल विकास परियोजनाओं के अधिकारियों और इसे लागू करने के जिम्मेदार पदाधिकारियों समेत सभी लोगों को स्पष्टता और मार्ग निर्देशन देता है।
केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानीजी ने अपने मुख्य भाषण में यहा पर कहा कि पोषण अभियान कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए १८ मंत्रालयों / राज्य सरकारों के बीच हुए अद्भुत समन्वय और सहकार का उदाहरण है।
श्रीमती इरानी ने वर्ष २०१९ से पोषण अभियान की उपलब्धियों पर चर्चा की और उन्होंने क हा कि इसमें पारदर्शिता और दक्षता के लिए और बिल्कुल निचले स्तर पर प्रणालियों को मजबूत करने के लिए गुणवत्ता आश्वासन, ड्यूटी करने वालों की भूमिका और उनकी जिम्मेदारियों आदि पर सुव्यवस्थित दिशानिर्देश जारी किए गए है।
केन्द्रीय मंत्री ने इस कार्यक्रम में कहा कि कोविड महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान तैयार किया गया पोषण ट्रैकर ऐप शुरुआत के सिर्फ पहले 3 महीनों में ही १३ लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तक पहुंच बनाकर एक गेम चेंजर के रूप में उभरा है। उन्होंने बताया कि पोषण ट्रैकर ऐप पर मिले नतीजे बताते है कि एनएफएचएस-5 के नतीजों की तुलना में कुपोषण का स्तर काफी कम है। ७ करोड़ से ज्यादा बच्चों के आंकड़े दर्शाते है कि 0-5 साल की उम्र के १.९८ प्रतिशत बच्चे सैम (कुपोषण के कारण उम्र के हिसाब से बहुत कम वजन/ लंबाई वाले और अधिक खतरे में) और 4.2 प्रतिशत बच्चे मैम (अपेक्षाकृत कम कुपोषित और कम खतरे में) है जबकि एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार 19.3 प्रतिशत बच्चे कम कुपोषित हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राज्यों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने शौचालयों के निर्माण की लागत को १२ ,000 रुपये से बढ़ाकर ३६ ,000 रुपये करने और साथ में पेयजल उपलब्ध कराने की सुविधा के लिए 10 ,000 रुपये से बढ़ाकर१७ ,000 रुपये करने का प्रावधान किया है। इसके अलावा आकांक्षी जिलो / ब्लॉकों के ४० ,000 से ज्यादा आंगनवाड़ी केन्द्रों का उन्नयन कर उन्हें सक्षम आंगनवाड़ी में बदलने का प्रावधान भी किया है, जिनमें एलईडी स्क्रीन व स्मार्ट दृश्य एवं श्रव्य तकनीकी उपकरणों को लगाया जाएगा। इसके अलावा सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल इन प्रदेश के सीमावर्ती गांवों में भी आंगनवाड़ी केन्द्र बनाए जाएंगे।इसके अलावा सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मौजूदा टेलीफोनों को 5जी की सुविधा से युक्त मोबाइल फोनो में बदला जाएगा और इसके लिए कीमत से संबंधी नियमों को उसी के अनुरूप बदला जाएगा। इसके लिए हर४ साल में मोबाइल फोन बदलने की एक नीति भी तैयार की जा रही है।
केन्द्रीय मंत्री ने इस कार्यक्रम में बताया कि, पोषण ट्रैकर ऐप की एक अन्य सुविधा से यह सुनिश्चित हुआ है, कि एक गांव से दूसरे गांव या एक राज्य से दूसरे राज्य पलायन करने वाली लाभार्थियों को आंगनवाड़ी सेवा योजना के तहत लाभ मिलना जारी रहेगा। मई २०२२ से अभी तक एक लाख से ज्यादा लाभार्थियों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जिस नए प्रोटोकॉल की बाल रोग विशेषज्ञों एवं अन्य विशेषज्ञों ने प्रशंसा की है वह कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करने के मंत्रालय के पहले से जारी प्रयासों / प्रतिबद्धताओं को और अधिक सुदृढ़ बनाएगा। उन्होंने मंत्रालय की अनुपूरक पोषण कार्यक्रम में मोटे अनाज को शामिल करने की पहल और पोषण माह २०२३ के दौरान जन-आंदोलन गतिविधियों को और अधिक सघन बनाने के कदमों पर प्रकाश डाला, जिसमें करीब ३५ करोड़ गतिविधियां शामिल की गईं। केन्द्रीय मंत्री ने मोटे अनाजों की खपत को बढ़ावा देने और मार्च २०२३ में हुए पोषण पखवाड़ा के दौरान मोटे अनाजों पर आधारित व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने से जुड़ी एक करोड़ गतिविधियों का भी जिक्र किया। मंत्री ने इस अवसर पर सभी अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी / आशा कार्यकर्ताओं का इस बात के लिए शुक्रिया अदा किया कि उन्होंने अडिग प्रतिबद्धता व अद्वितीय कार्य का प्रदर्शन किया। कुपोषित बच्चों की पहचान और उनके प्रबंधन के लिए नया लॉन्च किया गया प्रोटोकॉल आंगनवाड़ी स्तर पर कुपोषित बच्चों की पहचान और प्रबंधन के लिए विस्तृत कदम प्रदान करता है, जिसमें रेफरल, पोषण प्रबंधन और अनुवर्ती देखभाल के संबंध में निर्णय लेना शामिल है। प्रोटोकॉल में बताए गए प्रमुख चरणों में, विकास निगरानी और स्क्रीनिंग, सैम बच्चों के लिए भूख परीक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन, देखभाल के स्तर के बारे में निर्णय लेना, पोषण प्रबंधन, चिकित्सा प्रबंधन, पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा / वॉश प्रथाओं सहित परामर्श, घर का दौरा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और रेफरल द्वारा, निगरानी और अनुवर्ती देखभाल की अवधि शामिल हैं।
*** एमजी/एमएस/एआरएम/आरपी/एसएम/डीके-(रिलीज़ आईडी: 1966625) आगंतुक पटल : 152 प्रविष्टि तिथि: 11 OCT 2023 \ by PIB Delhi